​वन अधिकार कानून 2006 के तहत अनुसूचित जनजाति के तहत आने वाले गुर्जर समुदाय के आठ पीढ़ियों से कब्जे वाले जंगलों (सनीहरा जंगल व टीहरी जंगल) को पुन: किया जाए बहाल।

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​वन अधिकार कानून 2006 के तहत अनुसूचित जनजाति के तहत आने वाले गुर्जर समुदाय के आठ पीढ़ियों से कब्जे वाले जंगलों (सनीहरा जंगल व टीहरी जंगल) को पुन: किया जाए बहाल।
​वन अधिकार कानून 2006 के तहत अनुसूचित जनजाति के तहत आने वाले गुर्जर समुदाय के आठ पीढ़ियों से कब्जे वाले जंगलों (सनीहरा जंगल व टीहरी जंगल) को पुन: किया जाए बहाल।

​वन अधिकार कानून 2006 के तहत अनुसूचित जनजाति के तहत आने वाले गुर्जर समुदाय के आठ पीढ़ियों से कब्जे वाले जंगलों (सनीहरा जंगल व टीहरी जंगल) को पुन: किया जाए बहाल।

​अखिल भारतीय गुर्जर महासभा हिमाचल प्रदेश का अध्यक्ष होने के नाते मैं महेंद्र सिंह वन अधिकार कानून 2006 को मान्यता प्रदान करने वाली केंद्र सरकार का धन्यवाद करता हूँ व इस कानून को हिमाचल सरकार द्धारा लागू करवाने का प्रयास सरहनीय कदम है। इस कार्य के लिए गरीबों के मसीहा माननीय मुख्यमंत्री ठाकुर श्री सुखविन्दर सिंह सुख्खू जी, राजस्व मंत्री श्री जगत सिंह नेगी जी व हिमाचल प्रदेश सरकार के सभी मंत्री मण्डल का धन्यवाद करता हूँ।
​मैं महेन्द्र सिंह अध्यक्ष अखिल भारतीय गुर्जर महासभा हिमाचल प्रदेश माननीय मुख्यमंत्री ठाकुर श्री सुखविन्दर सिंह सुख्खू जी, राजस्व मंत्री श्री जगत सिंह नेगी जी से आग्रह करता हूँ कि पिछड़ा क्षेत्र कोटधार की उप तहसील के अधीन आने वाले गाँव सनीहरा का 722.5 बीघा का राजस्व विभाग में जंगल सनीहरा दर्ज है। इस जंगल पर सनीहरा गाँव के लोगों का आठ पीढ़ियों यानि कि 150 वर्षों से कब्जा रहा है व आज दिन तक इस जंगल से घास पत्ती आदि लाकर अपने जानवरों/पशुओं को पालते हैं। यह 722.5 बीघा जमीन जोकि किसी समय हमारी मलकियत भूमि हुआ करती थी व सरकार हमारे लोगों से कर वसूलती थी। उस समय स्थानीय गाँव के निवासी यानि कि मेरे परदादा स्वर्गीय श्री दलीपा राम इस क्षेत्र के नम्बरदार हुआ करते थे जो कर वसूल कर औडियों पर चढ़ाकर सारा रिकॉर्ड रखते थे।
​1960 में नम्बरदार दलीपा राम जी का घर जला व औडियों पर लिखा सारा रिकॉर्ड जलकर राख़ हो गया व कुछ समय बाद उनका देहांत भी हो गया। भारत देश के आजाद होने के पश्चात सरकार ने नए नियम बनाए व पिछली सरकार यानि कि राजा लोगों ने जाते समय इस जंगल का भारी कर माँगा जिसे हमारे पूर्वज गरीबी के कारण कर अदा न कर सके व पूरे गाँव को बेदखल कर दिया गया लेकिन फिर भी हमारे गाँव के लोग इस जंगल से घास पत्ती काट रहे हैं व कब्जा जमाए बैठे हैं। हमारा गाँव 100% गुर्जर बहुल क्षेत्र है। व अनुसूचित जनजाति के तहत आता है व पशुपालन से जुड़ा है। व पशु पालन करके अपना गुजारा करते हैं। हमारे पूर्वजों को इस जंगल से बेदखल करने के बाद सीमित ज़मीनें ही हमारे गाँव के पास रह गई।
​हमारे साथ लगते गाँव भेड़ी (भड़ोली कलाँ) का इसी तरह का जंगल 968 बीघा (नौ सौ अड़सठ) बीघे का जंगल मलकियत बन चुका है व हमारे नजदीक कोठी जंगल जोकि 397 बीघा (तीन सौ सतानवे) बीघे है वह भी एक राजा की मलकियत भूमि है। हमारे गाँव के इस समय पंचायत रिकॉर्ड के अनुसार लगभग 60 (साठ) परिवार बन चुके है। आजादी के समय से खो चुकी जमीन को पुन: प्राप्त करने की किरण ग्रामीणों में जगी है। वन अधिकार नियम/कानून 2006 गुर्जर समुदाय के हित में है क्योंकि गुर्जर समाज सैकड़ों वर्षों से जंगलों के बीच या जंगलों के नजदीक बसा है क्योंकि गुर्जर समुदाय ने मुगलों व अग्रेजों से लोहा लिया जिस कारण धर्म परिवर्तन का सामना भी करना पड़ा। हिमाचल प्रदेश में हिन्दू गुर्जर, मुस्लिम गुर्जर व सिख गुर्जर निवास करते हैं। मुस्लिम गुर्जर ज्यादातर चंबा, कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर में हैं। हिन्दू गुर्जर बिलासपुर, मंडी व सोलन में ज़्यादातर निवास करते हैं। गुर्जरों की भाषा व गोत्र सभी के मिलते जुलते हैं। ज़्यादातर लोग गोजरी भाषा बोलते है जो ब्रजभाषा से मिलती है। इसी कारण गुर्जरों को भगवान कृष्ण से जोडा जाता है। भगवान राम व कृष्ण से गुर्जरों का आदिकाल से नाता है। इसलिए सभी के नाम के साथ सात पीढ़ियों से सर नाम राम जुड़ा है।
​गुर्जर समुदाय का कहलूर रियासत व बिलासपुर के साथ नाता सातवीं सदी से रहा है। भगत नैना गुर्जर व राजा वीर चन्द (697-730 CE) का इतिहास सब अच्छी तरह से जानते हैं। राजाओं के समय गुर्जर समाज का जंगलों पर ज्यादा कब्जे थे व जंगल सुरक्षित थे व कर भी मिलता था। आजादी के बाद अधिकार समाप्त किये गये व कम ज़मीनों तक सीमित रह गये जिसके कारण पशु पालन भी कम हो गया।
​मैं पुन: हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री सुखविन्दर सिंह सुख्खू जी व राजस्व मंत्री व जन-जातीय मंत्री श्री जगत सिंह नेगी जी से गाँव सनीहरा के जंगल की पुन: स्थिति बहाल करने की माँग करता हूँ। जिला बिलासपुर की उप तहसील कलोल के तहत जंगल सनीहरा व जंगल टीहरी को कम्यूनिटी राइट के तहत जिलाधीश बिलासपुर को उचित कार्यवाई के आदेश दिये जाएँ ताकि समस्त ग्राम निवासीयों को इसका लाभ मिल सके।
​मैं पहले भी कई बार इस जंगल की बहाली का मुद्दा उठा चुका हूँ परंतु अब तो राजस्व मंत्री के विचारों के अनुसार यह सही समय है। समस्त (70) ग्राम निवासियों के हस्ताक्षरों की कॉपी भी साथ संलग्न है। इन ग्रामीणों में कुछ लोगों की आयु 100 वर्ष की हो चुकी है। जोकि इसकी ग्वाही देती है। इस जंगल में मन्दिर, तलाब, कुश्ती के पीड़ व पत्थरों के नीचे रहने के स्थान वने हैं जिन्हें बैसक कहते थे जो वनों में रहने के पुख्ता सबूत हैं
​इसके अलावा समस्त गुर्जर समुदाय (हि॰प्र॰) के हितों को (हिमाचल प्रदेश) सरकार से बहाल करने की माँग भी करता है। ताकि गुर्जर समुदाय सुख की नीद सो सके। देश भक्त गुर्जर समुदाय सदा आपका ऋणी रहेगा।
सबको राम राम जी

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​वन अधिकार कानून 2006 के तहत अनुसूचित जनजाति के तहत आने वाले गुर्जर समुदाय के आठ पीढ़ियों से कब्जे वाले जंगलों (सनीहरा जंगल व टीहरी जंगल) को पुन: किया जाए बहाल।

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