शिमला/चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश
दोस्तों, एक बार फिर से देश में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जो हिमाचल प्रदेश समेत चार राज्यों को हिलाकर रख दिया है। हिमाचल, चंडीगढ़, पंजाब, और हरियाणा में आयुष्मान योजना और हिमकेयर योजना के नाम पर 400 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ है। इस मामले का मास्टरमाइंड और ब्रदर्स केमिस्ट शॉप का संचालक दुर्लभ कुमार जाटव को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन ये कहानी इतनी आसान नहीं है—इसके पीछे एक पूरा गिरोह और कई चौंकाने वाले खुलासे हैं। चलिए, आपको पूरी सच्चाई बताते हैं!
कैसे शुरू हुआ ये घोटाला?
ये मामला फरवरी 2025 में तब सामने आया, जब पीजीआई चंडीगढ़ की अमृत फार्मेसी में एक युवक को संदिग्ध हालत में पकड़ा गया। वो अपने आयुष्मान कार्ड से करीब 60,000 रुपये की दवाइयां मुफ्त में लेने गया था। सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़ लिया और तलाशी में उसके बैग से आयुष्मान, हिमकेयर, और विभिन्न विभागों के डॉक्टरों व विभागाध्यक्षों के नाम की फर्जी मुहरें और इंडेंट बरामद हुए। इसकी शिकायत कांगड़ा निवासी रमन के खिलाफ सेक्टर-11 थाने में दर्ज की गई, और जांच शुरू हुई।
कौन है मास्टरमाइंड जाटव?
जांच में पता चला कि इस फर्जीवाड़े का असली दिमाग दुर्लभ कुमार जाटव है। उसने सबसे पहले पीजीआई में आयुष्मान कार्ड बनवाने वाले अजय कुमार के साथ साजिश रची और अमृत फार्मेसी के कुछ लोगों को अपने साथ मिला लिया। ये लोग उन मरीजों का डाटा इकट्ठा करते थे, जिनका आयुष्मान या हिमकेयर कार्ड से इलाज होता था। जाटव ने इन मरीजों के नाम पर दोबारा कार्ड बनवाए, फर्जी पर्चियां तैयार कीं, और महंगी दवाइयों का ऑर्डर दिया। इन पर्चियों पर डॉक्टरों के नाम की नकली मुहरें लगाई जाती थीं।
रमन ये फर्जी पर्चियां अमृत फार्मेसी से ले जाता और रोजाना हजारों रुपये की दवाइयां जाटव को सौंप देता। जाटव फिर इन्हें 10 से 15 फीसदी डिस्काउंट पर ब्रदर्स केमिस्ट शॉप में बेचता था। इस कमाई में गिरोह के सभी सदस्यों का हिस्सा तय था। सूत्रों के मुताबिक, इस फर्जीवाड़े में यूटी पुलिस के पूर्व डीजीपी पर भी दबाव डाला गया था, जिसमें एक आरएसएस से जुड़े सदस्य का नाम सामने आया है।
पुलिस की कार्रवाई और अदालत का फैसला
क्राइम ब्रांच ने जाटव को दबोच लिया, लेकिन initially इस गिरफ्तारी को मीडिया से छिपाया गया। शुक्रवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने जाटव की जमानत याचिका ठुकरा दी, जिससे साफ हो गया कि जांच एजेंसियां इसे हल्के में नहीं ले रही हैं। अब तक इस मामले में 7 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, और पुलिस को शक है कि इस नेटवर्क में और भी बड़े नाम शामिल हो सकते हैं।
हिमकेयर योजना के लंबित बिलों का भुगतान
इसी बीच, हिमाचल में एक राहत भरी खबर भी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में निर्देश दिए कि 30 अप्रैल 2025 तक ठेकेदारों और हिमकेयर योजना के लंबित बिलों का भुगतान पूरा कर लिया जाए। करीब चार महीने से लोक निर्माण, जल शक्ति, और अन्य विभागों के ठेकेदारों के बिल अटके हुए थे। सीएम ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला, पीजीआई चंडीगढ़, और टांडा मेडिकल कॉलेज कांगड़ा के लंबित बिलों के शीघ्र भुगतान का आदेश दिया। साथ ही, सहारा योजना के लाभार्थियों की किस्तें भी जारी करने को कहा।
सीएम ने कहा कि राज्य सरकार के प्रभावी कदमों से हिमाचल की वित्तीय स्थिति मजबूत हो रही है। हालांकि, पीडब्ल्यूडी में 300 करोड़ और जल शक्ति विभाग में 200 करोड़ के बिल अभी भी लंबित हैं, जिनका निपटारा जल्द होगा।
"शिमला/चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेशदोस्तों, एक बार फिर से देश में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जो हिमाचल प्रदेश समेत चार राज्यों को हिलाकर रख दिया है। हिमाचल, चंडीगढ़, पंजाब, और हरियाणा में आयुष्मान योजना और हिमकेयर योजना के नाम पर 400 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ है। इस मामले का मास्टरमाइंड और ब्रदर्स केमिस्ट शॉप का संचालक दुर्लभ कुमार जाटव को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन ये कहानी इतनी आसान नहीं है—इसके पीछे एक पूरा गिरोह और कई चौंकाने वाले खुलासे हैं। चलिए, आपको पूरी सच्चाई बताते हैं!
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क्या कहते हैं लोग?
ये घोटाला न सिर्फ मरीजों की सेहत से खिलवाड़ है, बल्कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर भी सवाल खड़े करता है। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर ऐसी योजनाओं में इतना बड़ा फर्जीवाड़ा कैसे हो गया? क्या जांच में और बड़े नाम उजागर होंगे? बोल चाल न्यूज इस घटना पर नजर बनाए हुए है और आपको हर अपडेट देगा।
दोस्तों, आपकी क्या राय है इस 400 करोड़ के घोटाले पर? क्या आपको लगता है कि ऐसी योजनाओं में पारदर्शिता लाने की जरूरत है? अपनी राय कमेंट में जरूर शेयर करें और इस खबर को आगे बढ़ाएं ताकि लोग जागरूक हों।