बच्चों के विकास के लिये शिक्षा का काफ़ी महत्व है, स्कूल और कॉलेज की पढाई से पहले भी एक शिक्षा होती है, जो बच्चे के विकास के लिये बहुत महत्वपूर्ण होती है, बच्चे के बौद्धिक और शारीरिक विकास के लिये आंगनबाड़ी का एक अहम योगदान रहता है! सरकारें बहुत सी योजनाएं लेकर आती है, चाहे वो पोषण की बात हो, या फिर बच्चों को समय पर टीकाकरण करना हर योजना आँगनवाड़ी से होकर गुजरती है, ताकि अपने क्षेत्र के आसपास ही आपके बच्चे को छोटी उम्र में कुछ सिखने का मौका मिले, और उसका शारीरिक और बौद्धिक विकास भी साथ साथ हो, लेकिन बात अगर जमीनी स्तर की करें तो हकीकत कुछ और ही ब्यान करती हुई दिखती है!अकेले बड़सर उपमंडल ही करीब 273 आँगनवाड़ी केंद्र चल रहे हैँ, जिसमें केवल 34 ही ऐसे हैँ जो विभाग की खुद की ईमारतों में चल रहे हैँ, इसमें 75 ऐसे हैँ जो किराये के भवनों में चल रहे हैँ, बाकि बचे हुए आँगनवाड़ी केंद्र कहीं युवक मंडलों के तो कहीं महिला मंडलो, या जंजघरों में चल रहे हैँ!
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है की ज़ब आँगनवाड़ी केंद्रों के पास अपनी ईमारतें ही नहीं हैँ और वो किराये के भवनों में चलने को मजबूर हैँ, तो बच्चों का बौद्धिक और शारीरिक विकास कैसे सम्भव है! अधिक पड़ताल करने पर ये पता चला की अधिकतर आँगनवाड़ी किराये के एक कमरे में चल रहा है, जहां पर बच्चोँ को भी बिठाया जाता है, और उनके लिये सरकार द्वारा दिया गया पौष्टीक आहार भी बनाया जाता है!
इस विषय में ज़ब हमने सीडीपीओ एच.डी भाटिया से सम्पर्क साधा तो उन्होंने बताया की हमारे कुल 34 आँगनवाड़ी हमारे विभाग की खुद की ईमारतों में चल रहे हैँ, कुछ किराये के भवनों में भी चल रहे हैँ, लेकिन सुविधायें हर जगह उचित देने की कोशिश विभाग की तरफ से हमेशा की जाती है!