हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई गांव में एक अनोखी शादी ने सभी का ध्यान खींचा है। यहां दो सगे भाइयों ने एक ही लड़की से शादी की है, जो हाटी समुदाय की सदियों पुरानी बहुपति परंपरा का हिस्सा है।
मुख्य विवरण
शिलाई गांव के निवासी प्रदीप नेगी और कपिल नेगी नामक दो सगे भाइयों ने पास के कुन्हाट गांव की सुनीता चौहान से धूमधाम के साथ विवाह रचाया है। यह शादी 12, 13 और 14 जुलाई 2025 को संपन्न हुई, जिसमें समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
प्रदीप नेगी जल शक्ति विभाग में सेवारत हैं, जबकि कपिल नेगी विदेश में नौकरी करते हैं। दोनों भाई शिक्षित हैं और संपन्न परिवार से आते हैं।
सभी पक्षों की सहमति
यह निर्णय पूर्ण सहमति से लिया गया है। प्रदीप नेगी ने मीडिया से कहा: “ये हमारा साथ में लिया गया फैसला था। ये विश्वास, देखभाल और साझा जिम्मेदारी का मामला है। हमने अपनी परंपराओं का खुले दिल से पालन किया, क्योंकि हमें अपनी जड़ों पर गर्व है”।
दुल्हन सुनीता चौहान ने भी स्पष्ट किया: “यह मेरा खुद का फैसला था। मुझ पर कभी भी इस शादी को लेकर दबाव नहीं डाला गया। मैं इस परंपरा को अच्छे से जानती हूं और मैंने इसे अपनी स्वेच्छा से चुना है”।

हाटी समुदाय की बहुपति प्रथा
हाटी समुदाय में इस परंपरा को “उजला पक्ष” या “जोड़ीदार प्रथा” कहा जाता है। यह सदियों पुरानी परंपरा है जिसमें एक महिला दो या अधिक भाइयों की पत्नी बनती है।
परंपरा के मूल कारण
इस प्रथा के पीछे कई व्यावहारिक कारण थे:
- पैतृक भूमि का बंटवारा रोकना: खेती की सीमित जमीन को बांटने से बचने के लिए
- पारिवारिक एकता: परिवार को एकजुट रखना और संसाधनों का बेहतर उपयोग
- महिला सुरक्षा: यह सुनिश्चित करना कि कोई महिला विधवा न रहे
- आर्थिक स्थिरता: जब पुरुष काम की तलाश में बाहर जाते थे, तो घर की जिम्मेदारी साझा होती थी
क्षेत्रीय व्यापकता
यह परंपरा केवल हिमाचल प्रदेश तक सीमित नहीं है:
- सिरमौर जिले के ट्रांस-गिरी क्षेत्र में प्रचलित
- उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र में भी पाई जाती है
- किन्नौर जिले में भी इसी तरह की परंपरा थी
- इसे द्रौपदी प्रथा या घोटुल प्रथा भी कहते हैं
आधुनिक संदर्भ
आधुनिक समय में यह परंपरा धीरे-धीरे कम होती जा रही थी। 70-80 के दशक के बाद ऐसी शादियां बहुत कम देखने को मिलती थीं। हालांकि, इस समुदाय में आज भी इसकी सामाजिक मान्यता है।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि गांव में कई परिवार हैं जहां यह परंपरा का पालन किया जाता है, लेकिन आमतौर पर यह चुपचाप होता है। इस बार की शादी इसलिए चर्चा में आई क्योंकि यह खुलेआम धूमधाम से मनाई गई।
सामाजिक स्वीकृति
हाटी समुदाय खुंबली नामक पारंपरिक परिषद द्वारा शासित होता है, जो सामुदायिक मामलों को देखती है। इस समुदाय में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है और वे कई मामलों में निर्णायक भूमिका निभाती हैं।
यह घटना दिखाती है कि कैसे पारंपरिक समुदाय आधुनिकता के दौर में भी अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखते हैं, बशर्ते सभी पक्ष सहमत हों और किसी पर कोई दबाव न हो।