हिमाचल प्रदेश में मॉनसून ने भारी तबाही मचाई है। 3 अगस्त की शाम तक राज्य में 296 सड़कें बंद, 266 जल योजनाएँ बाधित और 134 बिजली ट्रांसफार्मर ठप हो चुके हैं।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के अनुसार, 20 जून से अब तक 179 लोगों की मौत हुई है — जिनमें 101 की मौत भूस्खलन, बादल फटने और फ्लैश फ्लड जैसी घटनाओं में हुई, जबकि 78 लोग सड़क हादसों में मारे गए।
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IMD Issues Rain Alert
मंडी, कुल्लू और चंबा ज़िले सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं, जबकि NH-505 (लाहौल-स्पीति) में भूस्खलन से रास्ता बंद है। नुकसान का कुल मूल्य ₹1,71,495 लाख से अधिक आँका गया है, और 88,800 हेक्टेयर कृषि भूमि भी प्रभावित हुई है।
22 संवेदनशील क्षेत्रों में भूस्खलन जोखिम की निगरानी जारी है। कांगड़ा के बलडून (नूरपुर) और सोलन के डक्शी को ‘उच्च जोखिम’ श्रेणी में रखा गया है। अधिकांश अन्य क्षेत्रों में ‘मध्यम जोखिम’ दर्ज किया गया है।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने मंडी ज़िले के आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा कर पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित की और कहा, “हालात बेहद कठिन हैं लेकिन लोगों का हौसला काबिले तारीफ़ है।”
इस बीच, मौसम विभाग (IMD Issues Rain Alert) ने अगले 12 घंटों में हल्की से मध्यम बारिश, और कुछ जगहों पर भारी बारिश की संभावना जताई है — विशेष रूप से बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन और ऊना ज़िलों में।
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👉 जनता से अपील की गई है कि अनावश्यक यात्रा से बचें और मौसम संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करें।